प्रधानमंत्री ने गांधीनगर में गुजरात सरकार के शहरी विकास कार्यक्रम को किया संबोधित
गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद कोई परोक्ष युद्ध नहीं, वल्कि एक सोची- समझी युद्ध रणनीति है और भारत उसी के अनुसार जवाव देगा। पाकिस्तान में गैर-सरकारी और सरकारी तत्वों के वीच कोई अंतर करने से इनकार करते हुए मोदी ने कहा कि पड़ोसी देश आतंकवाद को समर्थन जारी रखते हुए युद्ध में संलग्न है।
मोदी ने यहां गुजरात सरकार के शहरी विकास कार्यक्रम में कहा, ‘वसुधैव कुटुम्बकम हमारा संस्कार है, हम अपने पड़ोसियों के लिए भी खुशी चाहते हैं, लेकिन यदि आप हमारी ताकत को चुनौती देंगे तो भारत भी वीरों की भूमि है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम इसे परोक्ष युद्ध नहीं कह सकते, क्योंकि 6 मई की रात (पाकिस्तान में आतंकी शिविरों पर भारतीय हमलों में) मारे गए लोगों को पाकिस्तान में राजकीय सम्मान दिया गया। उनके ताबूतों पर पाकिस्तानी झंडे लपेटे गए और सेना ने उन्हें सलामी दी।’
उन्होंने कहा, इससे सावित होता है कि ये आतंकवादी गतिविधियां सिर्फ परोक्ष युद्ध नहीं हैं, वल्कि उनकी ओर से सोची- समझी युद्ध रणनीति है। अगर वे युद्ध में शामिल होते हैं, तो जवाव भी उसी के अनुसार होगा ।’ पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाव में पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हमला करने के लिए भारतीय सशस्त्र वलों द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाए जाने के बाद मोदी अपनी पहली गुजरात यात्रा पर थे । उन्होंने कहा कि वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदावाद और गांधीनगर की अपनी यात्रा के दौरान उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की गर्जना के साथ देशभक्ति का जोश’ महसूस हुआ, तथा यह भावना पूरे देश में देखी जा सकती है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि एक कांटा लगातार दर्द दे सकता है, भले ही शरीर कितना भी मजबूत क्यों न हो । उन्होंने कहा कि भारत ने ‘आतंकवाद के कांटे को निकालने का मन बना लिया और इसे पूरी दृढता के साथ किया । उन्होंने आजादी के तुरंत वाद कश्मीर में हुई घुसपैठ का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमें 1947 में कश्मीर में घुसने वाले मुजाहिद्दीनों को मार गिराना चाहिए था’ और यदि यह किया गया होता तो वर्तमान स्थिति उत्पन्न नहीं होती ।
मोदी ने कहा, विभाजन के दौरान मां भारती दो टुकड़ों में बंट गई और उसी रात मुजाहिदीन द्वारा कश्मीर पर पहला आतंकी हमला किया गया । उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने इन्हीं आतंकवादियों की मदद से भारत माता के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया। प्रधानमंत्री ने कहा, सरदार पटेल की उस समय यह राय थी कि भारतीय सेना को तव तक नहीं रुकना चाहिए जब तक कि पाकिस्तान के 1947 में मां भारती के टुकड़े हुए। कटनी चाहिए थीं जंजीरें लेकिन काट दी गईं भुजाएं । देश के तीन टुकड़े कर दिए गए और उसी रात पहला आतंकी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ।
मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर मुजाहिदीन के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदीनों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की बात मानी गई होती तो 75 साल से चला आ रहा ये आतंकी घटनाओं का सिलसिला देखने को नहीं मिलता। सरदार पटेल चाहते थे कि जब तक पीओके हमें वापस न मिल जाए, सेना वापस नहीं आनी चाहिए लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई।
कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर पुनः कव्जा नहीं कर लिया जाता। हालांकि, पटेल की सलाह पर ध्यान नहीं दिया गया। मोदी ने कहा, आतंकवाद की यह विरासत पिछले 75 वर्षो से जारी है तथा पहलगाम में आतंकवादी हमला इसका एक और भयावह रूप था । कूटनीतिक खेल खेलने के वावजूद पाकिस्तान ने वार – वार युद्ध में भारत की सैन्य ताकत का सामना किया। तीन मौकों पर भारत की सशस्त्र सेनाओं ने पाकिस्तान को निर्णायक रूप से हराया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान भारत के साथ सीधे सैन्य संघर्ष में जीत नहीं सकता ।
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